विदेश

अमेरिका की नाक के नीचे पहुंचा चीन, दर्जनों देशों पर एक साथ जमाएगा ‘कब्जा’, बाइडेन की उड़ी नींद 

बीजिंग
अमेरिका भले ही चीन को रोकने के लिए अलग अलग समझौते कर रहा है, लेकिन चीन ने दुनिया पर अपना प्रभुत्व हासिल करने के लिए अपनी गति और तेज कर दी है। अब चीन ने सीधे तौर पर अमेरिका घेरना शुरू कर दिया है और लैटिन अमेरिकी देशों पर चीन ने जिस तरह से अपना प्रभुत्व बढ़ाया है, उसने अमेरिका का चैन छीन लिया है। लैटिन अमेरिका के साथ साथ कैरिबयन देशों को भी चीन बहुत हद तक अपने नियंत्रण में ले चुका है। क्यूबा के साथ करार ऊपर से देखने पर ये सामान्य लगता है कि लैटिन अमेरिकी देश क्यूबा के पॉवर ग्रिड को अपग्रेड करने के लिए चीन ने नया डील किया है और एक कम्यूनिस्ट देश होने के नाते क्यूबा और चीन के नेताओं के बीच काफी अच्छे संबंध हैं, लेकिन इन दोनों कम्यूनिस्ट देश ने मिलकर चीन की नींद उड़ा दी है। 

ओबामा ने अपने शासन काल के दौरान क्यूबा के साथ संबंध सुधारने की कई कोशिशें भी कीं, लेकिन ओबामा शासन का अंत होते ही उस पहल का भी अंत हो गया और अब चीन ने पूरी तरह से अमेरिका के 'आंगन' पर कब्जा कर लिया है। बीआरआई प्रोजेक्ट के तहत ही चीन अलग अलग देशों में निवेश कर रहा है और इसी प्रोजेक्ट के तहत क्यूबा को भी चीन ने करोड़ों डॉलर का कर्ज दिया है। इसके अलावा दोनों देशों के बीच ट्रेड डील, इन्फ्रास्ट्रक्चर डील तो किया ही है, इसके साथ ही लैटिन अमेरिका के कुछ और देश और कई कैरेबियन देश भी चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट का हिस्सा बन चुके हैं। चीन लैटिन अमेरिका के साथ साथ कैरेबियन देशों में अपने प्रोजेक्ट के जरिए लगातार अपनी शक्ति को मजबूत कर रहा है, जबकि अमेरिका की ताकत लगातार कम होती जा रही है। 

140 अरब डॉलर का कर्ज 2005 के बाद से चीन के तीन सबसे बड़े निवेश बैंकों ने परमाणु ऊर्जा स्टेशनों से लेकर बांधों, सड़कों से लेकर रेलवे, बंदरगाहों और फोन नेटवर्क तक हर प्रोजेक्ट के लिए लैटिन अमेरिकी देशों को कगरीब 140 अरब डॉलर का कर्ज दिया है। इसके साथ ही विश्लेषकों का कहना है कि, चीन ने कैरिबयन देशों के साथ साथ लैटिन अमेरिकी देशों के साथ कई ऐसे करार किए हैं, जो सीक्रेट हैं। वहीं, ये भी कोई नहीं जानता है कि, चीन के बैंकों और चीन की सरकार ने किन देशों के साथ क्या-क्या करार किए हैं और इन प्रोजेक्ट्स को ट्रैक करना और उनके बारे में पता लगाना काफी मुश्किल है। रिसर्चर्स का कहना है कि, किताबों पर जो जानकारियां मिल रही हैं, असलियत उससे काफी अलग है। 

अमेरिका को झटका, चीन से करार इस बीच लैटिन अमेरिका के साथ चीनी व्यापार 25 गुना से अधिक बढ़ गया है, जो 2000 में 12 अरब डॉलर से बढ़कर 2020 में 315 अरब डॉलर हो गया है। इस क्षेत्र के लगभग आधे देशों ने अमेरिका को पीछे छोड़कर अपना सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार चीन को बना लिया है। जिनमें तीन ब्राजील, अर्जेंटीना और कोलंबिया में चार सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं भी शामिल हैं। इन देशों में प्रोजेक्ट्स से चीन को काफी ज्यादा फायदा है और अपनी इस कर्ज नीति का इस्तेमाल चीन अंतर्राष्ट्रीय मंच पर करता है। खासकर इस वक्त चीन ताइवान के मुद्दे पर इन देशों के वोट का इस्तेमाल अपने पक्ष में करता है और अमेरिका का पकड़ इन देशों के ऊपर से छूट रहा है। अमेरिका के लिए खतरा कैसे? लैटिन अमेरिका, कैरेबिनय देशों के साथ साथ अफ्रीकी देशों पर भी चीन का प्रभुत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। 

 

Back to top button