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कृषि कानूनों का वापसी पर राहुल गांधी बोले – डरती है सरकार, जानती है कि गलत काम किया था

नई दिल्ली
कृषि कानूनों की वापसी पर लोकसभा और राज्यसभा से मुहर लगने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नई मांग उठा दी है। उन्होंने कहा कि इन बिलों का वापसी और खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में यह माना था कि हमसे गलती हुई है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने माना है कि उनसे गलती हुई है तो फिर आंदोलन के दौरान मरे किसानों के परिजनों को मुआवजा देना चाहिए। राहुल गांधी ने कहा, 'हमने कहा था कि इन तीन काले कानूनों को सरकार को वापस लेना होगा। देश के 3 से 4 पूंजीपतियों के आगे किसानों की शक्ति कमजोर नहीं हो सकती।' राहुल गांधी ने कहा कि यह किसानों और मजदूरों की सफलता है। लेकिन जिस तरह से ये कानून रद्द किए गए, संसद में इसके बारे में चर्चा नहीं होने दी। यह दिखाता है कि सरकार चर्चा से डरती है। इससे पता चलता है कि सरकार जानती है कि उन्होंने गलत काम किया। हमें चर्चा उन लोगों के बारे में करनी है, जो आंदोलन के शहीद हो गए। हमें इस बारे में चर्चा करनी थी कि किसानों के खिलाफ बनाए गए कानूनों के पीछे किसकी शक्ति थी। इसके अलावा एमएसपी, लखमीपुर खीरी एवं किसानों की अन्य समस्याओं पर डिस्कशन होना था। इसे सरकार ने होने नहीं दिया। सरकार के अंदर एक कन्फ्यूजन है। वह सोचती है कि किसानों, गरीबों और मजदूरों को दबाया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

यही नहीं राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के दौरान आंदोलनकारियों को किसानों का एक समूह बताए जाने पर भी ऐतराज जताया। राहुल गांधी ने कहा कि पहले आप लोगों ने उन्हें खालिस्तानी बताया और अब उन्हें किसानों का एक समूह बता रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद इन बिलों को वापस लेने का ऐलान करते हुए माफी मांगी है। ऐसे में यदि उन्होंने माफी मांगी है तो फिर आंदोलन में शहीद हुए 700 लोगों के परिवानों को उन्हें मुआवजा देना चाहिए।

 

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