केजरीवाल बोले: गुरु साहब की कुर्बानी मानवता के लिए, मान सरकार उनके संदेश को हर घर तक पहुंचाएगी

चंडीगढ़
पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार ने शनिवार को श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस के अवसर पर दिल्ली से गुरुद्वारा श्री रकाबगंज साहिब में भव्य कीर्तन दरबार का आयोजन किया. इस पावन कीर्तन दरबार में आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब से मुख्यमंत्री भगवंत मान समेत पंजाब सरकार के मंत्री समेत अन्य गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान सदियों तक हमें सत्य, धर्म और मानवता की रक्षा के लिए प्रेरित करता रहेगा.
अरविंद केजरीवाल ने यह भी कहा कि पूरी मानवता के इतिहास में श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत की कोई मिसाल नहीं है. उन्हें हिंद दी चादर भी कहा जाता है. उनके पास कश्मीरी पंडित आए और उन्होंने बताया कि उस वक्त के मुगल शासक किस तरह से उन कश्मीरी पंडितों के धर्म के ऊपर वार और आक्रमण कर रहे थे. उन कश्मीरी पंडितों को बचाने के लिए गुरु जी महाराज ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया और उन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया.
25 अक्टूबर से शुरू होकर 25 नवंबर तक
इस दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि आज ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहब रकाबगंज में गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी पर्व के उपलक्ष्य में मुख्य समागम शुरू हुआ है. 25 अक्टूबर से शुरू होकर 25 नवंबर तक पूरे महीने पंजाब सरकार उन सभी स्थानों पर जाएगी, जहां गुरु साहब के चरण पड़े थे. इस दौरान महान कीर्तन जत्थे इलाही कीर्तन करेंगे, स्कूलों में गुरु साहब की शहादत के बारे में पढ़ाया जाएगा और सिलेबस में शामिल किया जाएगा. जिन गांवों में गुरु साहब के चरण पड़े, उन गांवों से पहले ही संपर्क किया जा चुका है और उनके विकास के लिए बजट जारी हो चुका है.
भगवंत मान ने कहा कि दिल्ली में संगत की अनुमति से यह समागम हो रहा है, क्योंकि यहीं पर गुरु साहब को लखी शाह बंजारा ने अपने घर में शरण दी थी. फिर भाई जैता जी ने तूफानी रात में गुरु साहब का शीश लेकर आनंदपुर साहब पहुंचाया. भाई मती दास, भाई सती दास और भाई दयाला जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भगवंत मान ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी की शहादत सिखों के लिए ही नहीं, बल्कि मानवता और मानव अधिकारों के लिए थी. ऐसी मिसाल कहीं नहीं मिलती.
पंजाब सरकार पूरे महीने समागम कराएगी
भगवंत मान ने बताया कि पंजाब सरकार पूरे महीने श्रीनगर, फरीदकोट, फिरोजपुर, भटिंडा और अन्य स्थानों पर, जहां गुरु साहब के चरण पड़े, समागम आयोजित करेगी. 25 नवंबर को गुरु साहब द्वारा बसाई गई गुरु की नगरी आनंदपुर साहब में भव्य समागम होगा. वहां कीर्तन होगा और बाबा बलवीर सिंह जी जैसे महान संत मौजूद रहेंगे. आनंदपुर साहब में एक भव्य संग्रहालय तैयार किया गया है, जहां गुरु साहब का शीश लेकर भाई जैता जी द्वारा की गई यात्रा और गुरु गोविंद सिंह जी को शीश भेंट करने की घटना को दर्शाया जाएगा.
भगवंत मान ने कहा कि सिख धर्म दुनिया का सबसे नया और जीवंत धर्म है, जिसका दर्शन दूसरों को देना और सबके लिए रास्ता बनाना है. निशान साहिब की यात्रा में पैदल चलने वाले यात्री लंगर और रहने की जगह पाते हैं. सिख धर्म में कोई भेदभाव नहीं; परमात्मा ने सभी को एक समान बनाया है. उन्होंने संगत और अरविंद केजरीवाल के समागम में शामिल होने के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि 25 नवंबर के बाद फिर चांदनी चौक में समागम होगा, जहां गुरु साहब की शहादत हुई थी. भगवंत मान ने कहा कि गुरु साहब के स्थानों पर सड़कें बनाने और बुनियादी ढांचे के लिए बजट आवंटित किया गया है. 350वें शहीदी दिवस के लिए अलग से बजट रखा गया है और आनंदपुर साहब में एक टेंट सिटी बनाई जा रही है. देश के सभी मुख्यमंत्रियों को निमंत्रण भेजा गया है और सोमवार को राष्ट्रपति जी से मिलने का समय लिया गया है.
पूरी दुनिया में सिख संगत ने नाम कमाया
भगवंत मान ने कहा कि पूरी दुनिया में सिख संगत ने मेहनत और परमात्मा की कृपा से नाम कमाया है. उन्होंने गुरु गोविंद सिंह जी के 10वें लेख का जिक्र करते हुए कहा कि गुरु तेग बहादुर जी का त्याग और बलिदान अद्वितीय है. भाई मती दास जी को चरखी पर चढ़ाया गया, भाई सती दास को उबाला गया, लेकिन गुरु साहब ने परमात्मा के प्रति प्रेम और मानवता के लिए बलिदान दिया. औरंगजेब की कब्र पर कोई दीया जलाने नहीं जाता, लेकिन आनंदपुर साहब में गुरु की नगरी में श्रद्धालुओं की लाइन कभी नहीं टूटती. यह अंतर है.
भगवंत मान ने कहा कि इस पवित्र स्थान पर कीर्तन सुनकर और दर्शन करके आत्मा को सुकून और शांति मिलती है. सड़क पर बैठे कानून के साये में भी यह श्रद्धांजलि दी जा रही है. पहली बार संसद में भी गुरु साहब को श्रद्धांजलि दी गई. उनकी कुर्बानी निजी स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि मानवता और मनुष्यता के लिए थी. उन्होंने संगत से अपील की कि वे दिल्ली से आनंदपुर साहब जरूर जाएं, दर्शन करें और गुरु साहब के दिखाए रास्ते पर चलें. सामाजिक बुराइयों और झगड़ों को छोड़कर परमात्मा की शक्ति और सेवा में लगें.




