राजनीती

ममता के मंच पर ‘आप’, SP और BSP संग कांग्रेस, खड़गे बोले- दिल मिले न मिले, हाथ मिलने चाहिए

कोलकाता
बीजेपी के खिलाफ कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में भले ही विपक्षी दलों ने ममता की मेजबानी में मंच साझा किया हो, लेकिन एकता के यह सुर अलग-अलग नजर आए। कांग्रेस लीडर मल्लिकार्जुन खड़गे ने एसपी, बीएसपी और 'आप' के साथ मंच साझा करते हुए कहा कि दिल भले न मिलें, हाथ मिलने चाहिए। बता दें कि एसपी-बीएसपी ने यूपी में और 'आप' ने दिल्ली में कांग्रेस का हाथ थामने से इनकार कर दिया है। तृणमूल की मुखिया ममता बनर्जी ने इस रैली को विपक्षी महाएकता के तौर पर पेश किया था। खड़गे ने भी मंच से बीजेपी को हटाने के लिए सभी से एकजुट होने की अपील की थी। मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी स्पीच के अंत में कहा, 'मंजिल दूर है, रास्ता कठिन है, फिर भी पहुंचना है। दिल मिले न मिले, कम से कम हाथ मिला कर चलो।' मंच से मल्लिकार्जुन खड़गे जब इन पंक्तियों को दोहरा रहे थे तो पीछे बैठे अखिलेश यादव और सतीश मिश्रा के चेहरे पर मुस्कान थी। यही नहीं दिल्ली की सियासत में हमेशा एक-दूसरे पर हमलावर रहने वाले कांग्रेसी और 'आप' के अरविंद केजरीवाल भी एक ही मंच पर थे। बता दें कि 'आप' ने दिल्ली में कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावनाओं को खारिज कर दिया है, जबकि यूपी में बीएसपी और एसपी ने गठजोड़ से कांग्रेस को परे रखा है। बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अथवा सोनिया गांधी ने इस रैली से खुद को दूर रखते हुए प्रतिनिधि के तौर पर लोकसभा में कांग्रेस लीडर मल्लिकार्जुन खड़गे और पश्चिम बंगाल से राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को भेजा था। 

खड़गे ने कहा, मोदी-शाह से मुकाबले को रहें एक 
खड़गे ने कहा, 'जब तक हम यह देख रहे हैं कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह लोकतंत्र और देश के सेकुलर मूल्यों को बर्बाद कर रहे हैं, तब तक हमें एक रहना होगा।' उन्होंने आगे कहा, 'भले हमारे दिल न मिलें, लेकिन हाथ मिलने चाहिए।' हालांकि इस रैली के मंच से परे देखें तो दिल्ली में कांग्रेस और आप का गठबंधन मुश्किल है। 

पीएम पर सुर अलग-अलग, संयुक्त उम्मीदवार की भी उठी मांग 
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की ओर से आयोजित रैली में शामिल होकर 20 से अधिक वरिष्ठ नेताओं ने अपनी एकजुटता प्रदर्शित की। उन्होंने कहा, ‘मोदी सरकार की एक्सपायरी डेट खत्म हो गई है।’ इन नेताओं ने अपनी पार्टियों के बीच के मतभेद को दरकिनार करने का आह्वान करते हुए कहा कि वे चुनावों के बाद प्रधानमंत्री पद के मुद्दे पर फैसला कर सकते हैं। कुछ नेताओं ने सुझाव दिया कि विपक्ष को हर चुनाव क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ अपना एक संयुक्त उम्मीदवार उतारना चाहिए। उन्होंने अप्रैल-मई में संभावित लोकसभा चुनावों से पहले और संयुक्त रैलियां करने का फैसला किया। अगली रैलियां नई दिल्ली और आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती में होंगी। 

रैली में कौन-कौन, कहां-कहां से पहुंचा?
रैली में पूर्व प्रधानमंत्री एवं जनता दल सेक्यूलर प्रमुख एच डी देवगौड़ा, तीन वर्तमान मुख्यमंत्री- चंद्रबाबू नायडू (TDP), एचडी कुमारस्वामी (जनता दल सेक्यूलर) और अरविंद केजरीवाल (AAP), छह पूर्व मुख्यमंत्री – अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी), फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला (दोनों नेशनल कॉन्फ्रेंस), बाबूलाल मरांडी (झारखंड विकास मोर्चा), हेमंत सोरेन (झारखंड मुक्ति मोर्चा) और इसी हफ्ते बीजेपी छोड़ चुके गेगांग अपांग, आठ पूर्व केंद्रीय मंत्री- मल्लिकार्जन खड़गे (कांग्रेस), शरद यादव (लोकतांत्रिक जनता दल), अजित सिंह (राष्ट्रीय लोक दल), शरद पवार (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी), यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, शत्रुघ्न सिन्हा और राम जेठमलानी ने हिस्सा लिया। इनके अलावा, राजद नेता एवं बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी, बसपा सुप्रीमो मायावती के प्रतिनिधि एवं राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्रा, पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल और जानेमाने दलित नेता एवं गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी भी मंच पर नजर आए। 

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