नौसेना का सबसे बड़ा रक्षा अभ्यास शुरू, 26/11 के बाद उठाए गए कदमों की होगी जांच
नई दिल्ली
समुद्र के रास्ते होने वाले हमले के खिलाफ देश की रक्षा तैयारियों की समीक्षा के लिए नौसेना का दो दिवसीय रक्षा अभ्यास तटीय क्षेत्रों में शुरू हो गया है। इस अभ्यास का कोडनेम ‘सी विजिल 2019’ है और इस तरह के बडे़ स्तर पर यह पहला अभ्यास है। नेवी के डेप्युटी चीफ ने कहा कि कई एजेंसियों की टीमें सभी तटीय जिलों के संवेदनशील स्थानों जैसे बड़े और छोटे मध्यवर्ती बंदरगाह, लाइटहाउस, तटीय पुलिस स्टेशन , नियंत्रण कक्ष और ऑपरेशन सेंटर आदि पर सुरक्षा समीक्षा के लिए तैनात की गई। नेवी के डेप्युटी चीफ वाइस ऐडमिरल जी अशोक कुमार ने कहा कि इसका लक्ष्य समुद्री रास्ते के जरिए देशद्रोही तत्वों द्वारा यहां के क्षेत्रों और नागरिकों पर किसी भी तरह के हमले को नाकाम करने के लिए देश की तैयारी की समीक्षा करना है। उन्होंने कहा, 'भौगोलिक दृष्टि से इस अभ्यास का आकार बेहद बड़ा है। यहां तक कि इसमें शामिल स्टेक होल्डर्स, इसमें हिस्सा लेने वाली यूनिट और आब्जेक्टिव के मामले में यह बेहद बड़ा अभ्यास है। सभी केंद्रीय मंत्रालय और ऐजंसियों के साथ समुद्र तट से सटे 9 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों ने इसमें हिस्सा लिया। यहां तक कि मछुआरों और तटीय इलाकों में रहने वाले समुदाय भी इसका हिस्सा बने।' इस हाई वॉल्टेज एक्सरसाइज के बड़े होने का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है। नेवी और कॉस्ट गार्ड ने अकेले 139 पानी के जहाजों की तैनाती की है। इसके अलावा 35 एयरक्राफ्ट, डॉर्नियर्स, हेलिकॉप्टर्स, ड्रोन, पेट्रोल बोट्स, कोस्टल पुलिस फोर्स और सीआईएसएफ शामिल हैं।
एक अन्य अधिकारी ने बताया, 'सी विजिल अभ्यास मुख्यत: इस बात की जांच करेगा कि 26/11 के बाद तटों की रक्षा के लिए उठाए गए कदम आखिर कितने कारगर साबित हुए हैं। सी विजिल के साथ ऑपरेशनल, टेक्निकल और प्रशासनिक ऑडिट भी किया जाएगा, जो हमारी ताकत और कमजोरी के बारे में सही जानकारी देगा। यह पूरे देश की तटीय सुरक्षा का टेस्ट का बार में करेगा। यह राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करने में बेहद मदद करेगा।' 26/11 हमले के बाद जांच में सामने आया था कि खुफिया एजेंसी और सुरक्षा एजेंसी के बी बेहतर कनेक्टिविटी नहीं होने की वजह से उस हमले के बारे में अधिक जानकारी नहीं जुटाई जा सकी थी। उस समय भी इस तरह की जानकारी मिली थी कि आतंकी समुद्र के रास्ते भारत में घुस सकते हैं। इस घटना के बाद तटीय इलाकों को सुरक्षित बनाने के लिए कई अहम कदम उठाए गए। इसके अलावा सुरक्षा एजेंसी और खुफिया एजेंसी के बीच भी तालमेल को और बेहतर किया गया। सबसे पहले तो करीब 600 करोड़ रुपये की लागत से कॉस्टल सर्विलांस नेटवर्क के 36 रेडार स्टेशन बनाए गए। इनमें 6 लक्ष्द्वीप में, चार अंडमान निकोबार में काम शुरू हो गया है। अगले फेज में 800 करोड़ रुपये की लागत से 38 स्टेशन और स्थापित किए जाएंगे।