ISRO की एक और उपलब्धि, सैटलाइट कलामसैट और माइक्रौसैट-आर का हुआ सफल प्रक्षेपण
हैदराबाद
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ने गुरुवार देर रात सैटलाइट कलामसैट और माइक्रोसैट-आर का सफल परीक्षण किया। गुरुवार को प्रक्षेपण के दौरान PSLVC-44 ने इन दो सैटलाइट को लेकर उड़ान भरी, जिसके बाद इसरो ने इस प्रक्षेपण के सफल होने की जानकारी दी। उड़ान के कुछ मिनटों बाद ही इसरो ने माइक्रोसैट-आर को उसकी वांछित कक्षा में स्थापित कर दिया। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, गुरुवार रात करीब 11.37 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से पोलर सैटलाइट लॉन्च वीकल सी-44 ने माइक्रोसैट-आर और कलामसैट सैटलाइट को उड़ान भरी। इस उड़ान के कुछ देर बात माइक्रोसैट-आर को उसकी कक्षा में स्थापित कर दिया गया। इस बात की जानकारी और एक तस्वीर इसरो ने ट्विटर पर भी शेयर की। गुरुवार रात प्रक्षेपण के सफल होने के बाद इसरो के प्रमुख के सिवन ने इस मिशन के लिए अपनी टीम और सारे देश को बधाई दी।
इसरो प्रमुख ने देश के छात्रों को दिया संदेश
सैटलाइट लॉन्च के बाद देश के छात्रों को इसके लिए खास बधाई देते हुए सिवन ने कहा, 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान देश के सारे छात्रों के लिए हमेशा उपलब्ध है। ऐसे में मैं छात्रों से कहना चाहता हूं कि आप अपनी बनाई सैटलाइट्स को हमारे पास लाएं और हम इसे आप के लिए लॉन्च करने में आपकी मदद करेंगे।'
ISRO Chief K Sivan on successful launch of #PSLVC44 mission, carrying Kalamsat, a satellite made by students: ISRO is open to all students of India. Bring to us your satellites and we will launch it for you. Let's make India into a science-fairing nation. pic.twitter.com/rO9ate1xm3
— ANI (@ANI) January 24, 2019
पूर्व राष्ट्रपति कलाम को किया समर्पित
बता दें कि भारतीय छात्रों द्वारा बनाए गए कलामसैट सैटलाइट का नाम पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है। यह सैटलाइट दुनिया भर में इसरो का सबसे छोटा सैटलाइट कहा जा रहा है। कलामसैट एक कम्यूनिकेशन सैटलाइट है, जिसकों सिर्फ 12 लाख रुपये में तैयार किया गया है।
साल 2019 के पहले प्रक्षेपण में ही मिली सफलता
इस खास सैटलाइट को तमिलनाडु के 10वीं कक्षा के छात्रों ने मिलकर तैयार किया है और इसे 28 घंटे के काउंटडाउन के बाद गुरुवार रात 11.37 बजे प्रक्षेपित किया गया है। साल 2019 में पीएसएलवीसी-44 का प्रक्षेपण इसरो का पहला सफल मिशन बताया गया है। इससे पहले 2018 में इसरो ने कई उपग्रहों को सैटलाइट लॉन्च वीकल की मदद से अंतरिक्ष में स्थापित किया था।