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रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका से 73,000 असॉल्ट राइफलों की खरीद को दी मंजूरी

नई दिल्ली 
सीमा पर तैनात जवानों को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने की तैयारी चल रही है। रक्षा मंत्रालय ने पैदल सेना के आधुनिकीकरण की ओर अहम कदम उठाते हुए अमेरिका से करीब 73,000 असॉल्ट राइफलों को खरीदने के सेना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह काफी समय से लंबित था। इनकी खरीदारी पर करीब 700 करोड़ रुपये खर्च होंगे। खास बात यह है कि इन राइफलों को एफटीपी (फास्ट ट्रैक प्रोक्युरमेंट) रूट से खरीदा जाएगा यानी यह सामान्य खरीद प्रक्रिया से काफी तेज होगी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने एसआईजी सॉयर राइफलों की खरीद को मंजूरी दे दी है, जिनका इस्तेमाल चीन के साथ लगती करीब 3,600 किलोमीटर लंबी सीमा पर तैनात जवान करेंगे। बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने पिछले साल मार्च में सीमित संख्या में असॉल्ट राइफलों और कार्बाइनों के लिए आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल्स) जारी किया था। पाकिस्तान और चीन की सीमा पर तैनात जवानों को इन हथियारों से लैस किया जाना है। 

सूत्रों ने बताया कि अमेरिकी बलों के साथ-साथ कई अन्य यूरोपीय देश भी इन राइफलों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन्हें त्वरित खरीद प्रक्रिया (फास्ट ट्रैक प्रोक्युरमेंट) के तहत खरीदा जा रहा है। सौदे में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'अनुबंध एक सप्ताह में तय होने की उम्मीद है। अमेरिकी कंपनी को सौदा तय होने की तारीख से एक साल के भीतर राइफलों को भेजना होगा।' सेना के सूत्रों ने बताया कि अमेरिका द्वारा निर्मित राइफलें इंसास राइफलों का स्थान लेंगी। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी पैदल सेना पाकिस्तान और चीन से लगती भारत की सीमाओं समेत अन्य जगहों पर सुरक्षा खतरों पर विचार करते हुए विभिन्न हथियार प्रणालियों की त्वरित खरीद पर जोर दे रही है। अक्टूबर 2017 में सेना ने करीब 7 लाख राइफलों, 44,000 लाइट मशीन गन और करीब 44,600 कार्बाइन को खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी। सेना ने करीब 18 महीने पहले इशापुर स्थित सरकारी राइफल फैक्ट्री द्वारा निर्मित असॉल्ट राइफलों को खारिज कर दिया था क्योंकि वे परीक्षण में नाकाम रही थीं। इसके बाद सेना ने वैश्विक बाजार में राइफलों की तलाश शुरू की थी।

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