राजनीती

मोदी के नेतृत्व से नहीं की जा सकती राहुल, प्रियंका की तुलना: शिवसेना

मुंबई 
महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ गठबंधन के ऐलान के बाद अब शिवसेना के सुर बदले हुए दिख रहे हैं। शिवसेना ने अब खुलकर पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ की है। शिवसेना ने कहा है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की तुलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व से नहीं की जा सकती। बीजेपी के साथ बरसों की तकरार और इसकी नीतियों और नेताओं की आलोचना के बाद अब चुनाव पूर्व गठबंधन होने के दो दिन बाद उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली पार्टी की यह टिप्पणी आई है।  

सीट समझौते को लेकर विपक्ष की आलोचना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र सामना के एक संपादकीय में यह टिप्पणी की है। सामना में पार्टी ने कहा है, गठबंधन को लेकर लोगों के दिमाग में कम लेकिन राजनीतिक विरोधियों के दिमाग में अधिक सवाल हैं क्योंकि इस गठबंधन की वजह से कीड़े- मकोड़े कुचले जाएंगे। 

'सभी सवालों के जवाब सही समय पर मिलेंगे' 
मोदी के नेतृत्व का हवाला देते हुए कहा गया है, 2014 की तुलना में राहुल गांधी में सुधार हुआ है। उन्हें उनकी बहन प्रियंका की भी मदद मिल रही है। हालांकि, इसकी तुलना मोदी के नेतृत्व से नहीं की जा सकती। पार्टी के सत्ता के लिए असहाय नहीं होने का हवाला देते हुए संपादकीय में कहा गया है कि कई सवाल हैं जैसे 2014 में मतभेदों के बावजूद बीजेपी के साथ क्यों रहे, क्या राम मंदिर बनेगा, क्या शिवसेना का मुख्यमंत्री होगा…और इन सवालों का उत्तर सकारात्मक है। 

इस कारण दिया गठबंधन को एक मौका 
शिवसेना ने सामना के संपादकीय में लिखा है, गठबंधन पर सवालों का जवाब देने से बेहतर होगा कि महाराष्ट्र के लाभ के लिए बनाई गई व्यवस्था आगे ले जाई जाए। मराठी दैनिक में कहा गया है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह खुद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री आए। ठाकरे ने उनके सामने अपना पक्ष रखा और आखिरकार गठबंधन को एक और मौका देने का निर्णय लिया गया। 

'कांग्रेस की तरह हम भी कर सकते हैं गठबंधन
संपादकीय में कहा गया है कि शिवसेना और बीजेपी के बीच कोई वैमनस्य नहीं है। सामना में आगे कहा गया है कि अगर बिहार के मुख्यमंत्री और नीतीश कुमार मोदी से वैचारिक मतभेदों के बावजूद एनडीए से जुड़ सकते हैं और अगर कांग्रेस महागठबंधन बना सकती है तो फिर तो शिवसेना एनडीए का हिस्सा हमेशा ही रही है। 

'इस बार लहर नहीं विकास पर चुनाव' 
पार्टी ने कहा है कि 2014 में कांग्रेस और उसके सहयोगियों के बीच गुस्सा था और मोदी के पक्ष में लहर थी। पार्टी ने कहा कि 2019 में हालांकि यह लहर कुछ कम हो गई है पर इस बार चुनाव लहर पर नहीं बल्कि विचारधारा, विकास के कार्यों और भविष्य के आधार पर लड़े जाएंगे। 

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