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अगुस्टा: डायरी और पेन ड्राइव जिनमें छिपा है पूरा राज!

 नई दिल्ली
अगुस्टा वेस्टलैंड घूसखोरी मामले में सरकारी गवाह बने राजीव सक्सेना ने प्रवर्तन निदेशालय को एक पेन ड्राइव के साथ एक डायरी सौंपी है। बताया जा रहा है कि इनमें वीवीआईपी चॉपर सौदे में कथित तौर पर दी गई 423 करोड़ रुपये की घूस और अगुस्टा वेस्टलैंड इंटरनैशनल लिमिटेड से ट्यूनीशिया, मॉरिशस, दुबई स्थित शेल कंपनियों और स्विस बैंकों के अलावा भारत में बिचौलियों के पास पहुंचने की पूरी कहानी है। सक्सेना की पर्सनल डायरी में जिन लोगों के नाम हैं, उनका खुलासा करने से सूत्रों ने इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि सक्सेना ने सिर्फ उन सबके बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। लेकिन डायरी और पेन ड्राइव में मौजूद दस्तावेजों से और अहम खुलासा हो सकता है। 6 मार्च को दिल्ली के एक न्यायालय में सक्सेना ने अपनी गवाही दी थी। उसके बाद प्रवर्तन निदेशालय के दिल्ली कार्यालय में उनसे आरोपियों को आमने-सामने बिठाकर पूछताछ की गई थी। उस दौरान उन्होंने जो खुलासे किए हैं, उसको पूरक बयान के तौर पर दर्ज कर लिया गया है। 

पहले उन्होंने प्रवर्तन निदेशालीय (ईडी) के समक्ष दावा किया था कि उनकी घपले में बड़ी भूमिका नहीं थी। उन्होंने अन्य बिचौलियों के लिए सिर्फ मध्यस्थ का काम किया था। अगुस्टा मामले में यूपीए-2 शासनकाल के कुछ राजनीतिज्ञों और वरिष्ठ नौकरशाहों को घपले में शामिल होने का संदेह है। 31 जनवरी को दुबई से सक्सेना के प्रत्यर्पण के तुरंत बाद ईडी ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। बाद में जब वह मामले में गवाह बनने के लिए तैयार हो गए तो ईडी ने उनकी जमानत याचिका का विरोध नहीं किया। 

गवाह बनने के लिए राजी होने के बाद सक्सेना ने 6 मार्च को एक कोर्ट के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया। उसे ईडी ने मंजूर कर लिया और कोर्ट को बताया कि एजेंसी सक्सेना की जमानत याचिका का समर्थन करती है ताकि वह गवाह बन सके। ईडी ने इस मामले में पहले दाखिल अपनी चार्जशीट में बताया था कि अगुस्टा वेस्टलैंड इंटरनैशनल लिमिटेड ने 58 मिलियन यूरो यानी करीब 423 करोड़ रुपये घूस दी। अगुस्टा वेस्टलैंड कंपनी ने यह रकम ट्यूनीशिया स्थित गॉर्डियन सर्विसेज सार्ल और आईडीएस सार्ल के माध्यम से दी। 

इसके बाद यह पैसा कई ट्रांजैक्शन की शक्ल में अलग-अलग देशों में रजिस्टर्ड कंपनियों के पास पहुंचा। घूस की रकम एक कंपनी से दूसरी कंपनी में कंसल्टेंसी फीस की तौर पर पहुंची। ट्यूनीशिया स्थित शेल कंपनियों से यह रकम मॉरिशस स्थित इंटरस्टेलर टेक्नॉलजी लिमिटेड और अन्य कंपनियों के पास पहुंची। फिर वहां से घूस की रकम दुबई स्थित यूएचवाई सक्सेना और मैट्रिक्स होल्डिंग लिमिटेड के पास पहुंची। ईडी ने दावा किया था कि राजीव सक्सेना मॉरीशस स्थित इंटरस्टेलर टेक्नॉलजी लिमिटेड और दुबई स्थित दो कंपियों के मालिक हैं। इन कंपनियों में घूस की रकम ट्रांसफर की गई थी। मामले का अन्य आरोपी क्रिस्चन मिशेल ईडी की हिरासत में है। उसने फिनमेकैनिका कंपनी की ओर से भारत सरकार से सौदेबाजी की थी। जिस अगुस्टा वेस्टलैंड कंपनी के माध्यम से घूस की रकम आगे पहुंची, वह फिनमेकैनिका की यूके स्थित सब्सिडियरी कंपनी है। 

दुबई से 4 दिसंबर को उसका प्रत्यर्पण हुआ था जिसके बाद उसे ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था। ईडी ने बाद में उसे अपनी हिरासत में ले लिया और उससे पूछताछ की। 18 मार्च को ईडी ने पैरिस स्थित उसकी एक प्रॉपर्टी को जब्त किया है जिसकी कीमत करीब 6 करोड़ रुपये है। यह प्रॉपर्टी उसकी पूर्व पत्नी वैलरी मिशेल की है। एजेंसी का दावा है कि उसे आरोपी से घूस की रकम मिली थी। अपनी जांच के दौरान ईडी ने बताया कि मिशेल ने भारत में 6 करोड़ रुपये भेजे थे। यह रकम दुबई स्थित कंपनी ग्लोबल सर्विसेज एफजेडई के माध्यम से मीडिया एग्जिम प्राइवेट लिमिटेड के पास आई थी। इस पैसे का इस्तेमाल गुरुग्राम और दिल्ली में प्रॉपर्टीज खरीदने के लिए किया गया। ईडी ने मिशेल की इन संपत्तियों को जब्त कर लिया है। 
 

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