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सक्रिय राजनीति से रहना होगा कुछ दिन दूर?, रिहाई के लिए फारूक और उमर अब्दुल्ला से सरकार करेगी डील

 श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर में विदेशी राजनयिकों के दौरे के बाद हलचल तेज है। एक ओर 26 लोगों पर पीएसए हटाने के बाद आज उनकी रिहाई संभव बताई जा रही है। दूसरी ओर, इस बात के बड़े संकेत मिल रहे हैं कि राज्य सरकार पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला की रिहाई के लिए एक समझौते पर काम कर रही है। इस समझौते के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के दोनों प्रमुख नेताओं को सक्रिय राजनीति से कुछ दिन दूर रहने का वादा लिए जाने के बाद ही नजरबंदी से मुक्त किया जाएगा। यह भी कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं को राजनीति से दूर रखने के लिए कुछ दिन ब्रिटेन भेजा जा सकता है।

सरकार के सूत्रों का कहना है, 'ऐसा एक प्रस्ताव को तैयार किया जा रहा है जिसके बाद इस पर बातचीत के लिए फारूक और उमर अब्दुल्ला से संपर्क साधा जा सकता है।' सरकार के एक उच्च सूत्रों के मुताबिक, 'एक विचार यह भी है कि दोनों को कुछ समय के लिए ब्रिटेन भेजने का रास्ता निकाला जाए।' सरकारी सूत्रों का कहना है कि दोनों नेता देश से बाहर रहते हुए जम्मू-कश्मीर में मौजूद अपने पार्टी एजेंट्स की मदद से भी मामलों को देख सकते हैं।

370 हटाए जाने के बाद नजरबंद किए गए थे दोनों नेता
बता दें कि 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने और केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील किए जाने के बाद से ही नैशनल कांफ्रेंस के नेता फारू अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को नजरबंद कर दिया गया था।

26 लोगों से हटा पीएसए
दूसरी ओर, जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कश्मीर घाटी में इंटरनेट पर रोक और धारा 144 पर रोक के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चंद घंटे बाद कश्मीर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सहित 26 लोगों पर लगा कड़ा जनसुरक्षा कानून (पीएसए) हटा लिया है। इन 26 लोगों में से 11 लोग उत्तरी कश्मीर से और 14 लोग दक्षिणी कश्मीर से हैं। वहीं, कश्मीर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नजीर अहमद रोंगा भी इन लोगों में शामिल हैं।

बंदी बनाए लोगों की आज रिहाई संभव
सूत्रों ने बताया कि इन लोगों को शनिवार को रिहा किए जाने की संभावना है। इनमें से कुछ केंद्रशासित प्रदेश से बाहर उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में बंद हैं। जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने हाल ही में कुछ लोगों से पीएसए हटा दिया था और आदेश पर हस्ताक्षर करने वाले अधिकारियों पर तीखी टिप्पणी की थी। तीन बार मुख्यमंत्री रहे और लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला पर भी 17 सितंबर को पीएसए लगा दिया गया था। इसके बाद एमडीएमके नेता वाइको ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर उनकी पेशी की मांग की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध पर समीक्षा के लिए दिया एक हफ्ते का वक्त
उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सहित दर्जनों अन्य नेताओं को एहतियातन हिरासत में रखा गया है। इससे पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में इंटरनेट के इस्तेमाल को संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार करार दिया और जम्मू कश्मीर प्रशासन से कहा कि केन्द्रशासित प्रदेश में सभी प्रतिबंधों की एक हफ्ते के अंदर समीक्षा की जाए।
 

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