राजनीती

बहुत सारे हिस्ट्रीशीटर-अपराधी संत बन कर बैठे -स्वामी प्रसाद मौर्य

  कानपुर
समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों पर सवाल उठाया है. इसके साथ ही अयोध्या के संत राजू दास द्वारा उनका सिर काटने पर 21 लाख का इनाम देने के ऐलान पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि अगर सच-मुच संत होते तो मुझे श्राप देकर भस्म कर देते, बहुत से लोग हिस्ट्रीशीटर-अपराधी संत बन कर बैठ गए हैं.

कानपुर पहुंचे सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने लखनऊ में रामचरितमानस की प्रतियां जलाने से किया इंकार किया. इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट करके कहा, 'हर असंभव कार्य को संभव करने का नौटंकी करने वाले एक धाम के बाबा की धूम मची है, आप कैसे बाबा है जो सबसे सशक्त पीठ के महंत होने के बावजूद सिर तन से जुदा करने का सुपारी दे रहे हैं, श्राप देकर भी तो भस्म कर सकते थे, 21 लाख भी बचता, असली चेहरा भी बेनकाब न होता.'

रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों पर सवाल उठाकर सुर्खियों में आए सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य इन दिनों धमकी देने वाले साधु-संतों पर हमलावर हैं. उन्होंने ट्वीट करके कहा, 'धर्म की दुहाई देकर आदिवासियों, दलितों-पिछड़ों व महिलाओं को अपमानित किए जाने की साजिश का विरोध करता रहूंगा, जिस तरह कुत्तों के भौंकने से हाथी अपनी चाल नहीं बदलती उसी प्रकार इनको सम्मान दिलाने तक मैं भी अपनी बात नहीं बदलूंगा.'

इससे पहले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट करके कहा, 'देश की महिलाओं, आदिवासियों, दलितों एवं पिछड़ों के सम्मान की बात क्या कर दी, मानो भूचाल आ गया. एक-एक करके संतो, महंतों, धर्माचार्यों का असली चेहरा बाहर आने लगा. सिर, नाक, कान काटने पर उतर आये. कहावत सही है कि मुंह में राम बगल में छुरी. धर्म की चादर में छिपे, भेड़ियों से बनाओ दूरी.'

यानी स्वामी प्रसाद मौर्य धमकी देने वाले साधु-संतों पर हमलावर हैं. सबसे पहले उन्होंने ट्वीट करके कहा था, 'अभी हाल में मेंरे दिये गये बयान पर कुछ धर्म के ठेकेदारों ने मेरी जीभ काटने एवं सिर काटने वालों को इनाम घोषित किया है, अगर यही बात कोई और कहता तो यही ठेकेदार उसे आतंकवादी कहते, किंतु अब इन संतों, महंतों, धर्माचार्यों व जाति विशेष लोगों को क्या कहा जाए आतंकवादी, महाशैतान या जल्लाद.'

स्वामी प्रसाद मौर्य क्यों कर रहे हैं विरोध?

सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था, 'तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिन पर हमें आपत्ति है. क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है. तुलसीदास की रामायण की चौपाई है. इसमें वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं.'

इस पूरे विवाद की शुरुआत बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर के एक बयान से हुई थी. नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, 'रामचरितमानस के उत्तर कांड में लिखा है कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करने के बाद सांप की तरह जहरीले हो जाते हैं.'

शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने आगे कहा, 'यह नफरत को बोने वाले ग्रंथ हैं. एक युग में मनुस्मृति, दूसरे युग में रामचरितमानस, तीसरे युग में गुरु गोलवलकर का बंच ऑफ थॉट. ये सभी देश और समाज को नफरत में बांटते हैं. नफरत देश को कभी महान नहीं बनाएगी. देश को महान केवल मोहब्बत बनाएगी.'

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