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पंजाब के स्कूलों में 30 दिन में बड़ा बदलाव, बच्चों को मिलेगा सीधा फायदा

पंजाब 
स्कूली बच्चों में मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज सहित अन्य सेहत से जुड़ी परेशानियां बढ़ती जा रही है। ऐसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने एक अहम कदम उठाया है। NCPCR ने देशभर के स्कूलों में शुगर बोर्ड लगाने के निर्देश दिए है। शुगर बोर्ड के माध्यम से विद्यार्थियों को यह जानकारी दी जाएगी कि अधिक मीठे खाद्य और पेय पदार्थ उनके स्वास्थ्य को कैसे नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही बोर्ड पर स्वस्थ और संतुलित आहार के विकल्प भी बताए जाएंगे।  

पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड ने इस दिशा में तेजी दिखाते हुए राज्य के सभी सरकारी स्कूलों, प्रिंसिपलों और मुख्य अध्यापकों को निर्देश जारी कर दिए हैं। स्कूलों को कहा गया है कि शुगर बोर्ड को कैंटीन, क्लास और कॉमन एरिया जैसी प्रमुख जगहों पर लगाया जाए, ताकि छात्र-छात्राओं को निरंतर जानकारी मिलती रहे। इसके साथ ही, सभी स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि वे शुगर अवेयरनेस वर्कशॉप और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करें और इसकी रिपोर्ट 30 दिन के भीतर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को divyagupta.ncpcr@ gov.in पर भेजें। शिक्षा बोर्ड का मानना है कि यदि बच्चों को स्कूल में संतुलित आहार और शुगर के खतरों के बारे में जानकारी दी जाए, तो वे न केवल स्वयं स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित होंगे, बल्कि घर में भी परिवार को जागरूक करेंगे।

आयोग के अनुसार 4 से 10 साल के बच्चों की कुल कैलोरी में 13% जबकि 11 से 18 साल के बच्चों की कैलोरी का 15% हिस्सा शुगर से आता है। वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि यह मात्रा 5% से अधिक नहीं होनी चाहिए। इन बढ़ती समस्याओं के पीछे स्कूलों में आसानी से उपलब्ध मीठे स्नैक्स, कोल्ड ड्रिंक्स और प्रोसेस्ड फूड को मुख्य कारण माना गया है। ये आदतें न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं, बल्कि बच्चों की पढ़ाई और मानसिक विकास को भी प्रभावित करती हैं। 

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