प्रदेशमध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश हाई कोर्ट का आदेश: नगर निगम शैक्षणिक संस्थानों से शिक्षा और शहरी विकास उपकर नहीं वसूल सकता

 इंदौर
 शैक्षणिक संस्थानों को राहत देते हुए हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने कहा है कि नगर निगम शैक्षणिक संस्थानों के भूमि-भवन जिनका उपयोग वे खुद कर रहे हैं, उस पर शिक्षा उपकर और शहरी विकास उपकर नहीं ले सकता। कोर्ट की एकलपीठ ने एक निजी स्कूल की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने वसूली के आदेश को निरस्त कर दिया है।

निगम ने इस निजी स्कूल को वर्ष 2021 में लाखों रुपये की वसूली के लिए नोटिस जारी किया था। इसे चुनौती देते हुए स्कूल ने याचिका दायर की। स्कूल प्रबंधन का कहना था कि पूर्व में हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ शैक्षणिक संस्थानों को संपत्तिकर, शिक्षा उपकर और शहरी विकास शुल्क से छूट दे चुकी है। इस पर निगम की तरफ से तर्क रखा गया था कि हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के फैसले के खिलाफ अपील की गई है।

हालांकि इस पर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है। हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था जो गुरुवार को जारी हुआ। कोर्ट ने नगर निगम से कहा है कि वह निजी स्कूल द्वारा जमा की गई राशि को उसके खातों में समायोजित करे। इसके साथ ही दो माह में जो राशि शिक्षा उपकर और शहरी विकास उपकर के रूप में जमा की गई है, उसे भी निजी स्कूल को लौटाया जाए। इस तरह मामले में स्कूल प्रबंधन को राहत मिली।
पदोन्नति मामले में चार सप्ताह में लें निर्णय

इंदौर नगर निगम अपर आयुक्त की पदोन्नति से जुड़े मामले में हाई कोर्ट ने नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे को चेतावनी जारी की है। कोर्ट ने कहा है कि वे पूर्व में दिए गए फैसले के अनुसार अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर के आवेदन पर चार सप्ताह में निर्णय लें। निगम के अपर आयुक्त राजनगांवकर ने पदोन्नति नहीं दिए जाने के खिलाफ एक याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पांच मई 2025 को आदेश दिया था कि सरकार राजनगांवकर की पदोन्नति के आवेदन पर एक माह में निर्णय लें।

सात मई को राजनगांवकर ने कोर्ट के आदेश की प्रति के साथ नगरीय प्रशासन विभाग को नया आवेदन किया। इस आवेदन पर जब सरकार ने पांच माह बाद भी फैसला नहीं लिया तो राजनगांवकर ने अवमानना याचिका दायर कर दी। गुरुवार को कोर्ट में इस पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने प्रमुख सचिव को चेतावनी के साथ पूर्व में दिए आदेश का पालन करने के लिए एक मौका दिया है। कोर्ट ने राजनगांवकर से कहा है कि वे सात दिन में नया आवेदन दें। कोर्ट ने पीएस से कहा है कि वे चार सप्ताह में इस आवेदन पर निर्णय लें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button