देश

हरियाणा का ‘करोड़ों का गांव’: जहाँ ज़ुबान पर मिल जाता था 400 करोड़ का लोन! बड़ा खुलासा

चंडीगढ़ 
हरियाणा का डीघल गांव 400 करोड़ के नकद लोन का अड्डा बन गया है. यहां 5% मासिक ब्याज पर कॉर्पोरेट्स को 'ज़ुबान' पर कर्ज़ मिलता है। इस खेल में गैंगस्टर भी शामिल । एक फाइनेंसर के मर्डर और एक सब-इंस्पेक्टर व आईजी की आत्महत्या के बाद इस खूनी मकड़जाल का भंडाफोड़ हुआ। अब गांव में दहशत है और फाइनेंसरों को पुलिस सुरक्षा लेनी पड़ी है। 
 
हर महीने 5% ब्याज पर 400 करोड़ रुपये तक का नकद लोन… वो भी बिना किसी बैंक के, सिर्फ ‘ज़ुबान’ पर. यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि हरियाणा के झज्जर जिले के डीघल गांव की ज़मीनी हकीकत है। पैसे के इस ‘अदृश्य’ और अरबों रुपये के खेल ने जब अपना खूनी रंग दिखाया, तो एक ऐसा मकड़जाल सामने आया जिसमें बड़े फाइनेंसर, कॉर्पोरेट और गैंगस्टर, सब उलझे हुए हैं।

यह पूरा मामला तब सामने आया जब रोहतक साइबर सेल के सब-इंस्पेक्टर संदीप कुमार लाठर ने 14 अक्टूबर को आत्महत्या कर ली। मरने से पहले उन्होंने एक वीडियो में आरोप लगाया कि एक मर्डर केस से एक म्यूजिक कंपनी के मालिक राव इंद्रजीत यादव का नाम हटाने के लिए हरियाणा के एक आईजी (वाई पूरन कुमार) ने 50 करोड़ रुपये की घूस मांगी थी। चौंकाने वाली बात यह रही कि कुछ ही समय पहले उन आईजी ने भी आत्महत्या कर ली थी। यह पूरा घटनाक्रम एक ऐसे मकड़जाल की तरफ इशारा कर रहा था, जिसके तार डीघल गांव के करोड़ों रुपये के नकद फाइनेंस के धंधे से जुड़े थे।
 
क्या है 400 करोड़ का यह ‘नकद’ खेल?
डीघल को वहां के लोग ‘फाइनेंसरों का गांव’ कहते है। गांव के लोगों और मामले की जांच से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, यहां 20 से 50 साल के करीब 1200 लोग इस धंधे में शामिल हैं।इनमें से ज्यादातर युवा है है। ये लोग आपस में 10 से 20 लाख रुपये तक जमा करके एक बड़ा ‘पूल’ बनाते हैं। इस पूल से बड़े-बड़े कॉर्पोरेट्स और रियल एस्टेट कारोबारियों को अरबों रुपये तक का कर्ज़ दिया जाता है और यह सब कुछ ‘कैश’ यानी नकद में होता है।

इस धंधे का सबसे चौंकाने वाला पहलू है इसका ब्याज. यह पूरा सिस्टम 5% मासिक ब्याज दर पर चलता है. यानी, अगर किसी ने एक करोड़ रुपये का लोन लिया, तो उसे हर महीने 5 लाख रुपये सिर्फ ब्याज के तौर पर चुकाने होंगे. इस पैसे की वसूली के लिए डीघल और आसपास के कई जिलों (रोहतक, सोनीपत, भिवानी) के हज़ारों लड़के लगे हुए हैं. इनके कर्जदार सिर्फ हरियाणा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यूपी, राजस्थान, गुड़गांव, मुंबई और दिल्ली तक फैले हैं।

 यहां ‘ज़ुबान’ और ‘पंच’ पर चलता है धंधा
आखिर बिना किसी बैंक या कानूनी प्रक्रिया के करोड़ों का यह लेन-देन कैसे चलता है? दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह पूरा सौदा ज़ुबान और ताकत के दम पर चलता है।लोन देने से पहले ये फाइनेंसर 5% ब्याज जोड़कर कर्जदार से मासिक चेक ले लेते हैं. 6 महीने का बैंक खाता और टर्नओवर भी देखा जाता है. अगर मामला थोड़ा भी संदिग्ध लगा, तो ज़मीन, मकान या कंपनी के मालिकाने के असली कागज़ात गिरवी रख लिए जाते हैं। लेकिन इस सौदे में सबसे ज़रूरी चीज़ एक ‘पंच’ (बिचौलिया) होता है। यह कोई राजनीतिक या सामाजिक रूप से रसूखदार व्यक्ति होता है, जो दोनों पक्षों की गारंटी लेता है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button