
रांची
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से अलग होकर भाजपा का दामन थामने और 2024 के चुनावी मैदान में उतरने के बाद मिली हार के बाद सीता सोरेन गुमनामी में है। एक्स पर उनके पोस्ट अधिकतर प्रतीकात्मक जयंती, पुण्यतिथि या सांस्कृतिक अवसरों तक सिमट गए हैं।
चुनाव में मिली करारी हार के बाद गुमनामी में सीता सोरेन
दरअसल, सीता सोरेन ने जब बीजेपी का दामन थामा तो वह झामुमो पर लगातार हमला बोलती थी। वह लगातार हेमंत सरकार पर निशाना साधा करती थी। भाजपा में शामिल होने के दौरान सीता सोरेन को आदिवासी महिला चेहरे के रूप में आगे बढ़ाने की चर्चा थी, लेकिन चुनाव में उन्हें मिली करारी हार के बाद सब धरा का धरा रह गया। चुनावी हार मिलने के बाद सीता सोरेन न तो पार्टी के प्रमुख कार्यक्रमों में नियमित दिखीं और न ही प्रदेश राजनीति की बहसों में उनकी मुखर भूमिका नजर आई।
चुनाव के बाद सीता सोरेन कहीं गुमनाम सी हो गई हैं। उन्होंने राजनीति से दूरी बनाई हुई हैं। अब देखना ये होगा कि क्या वे किसी नए रोल, नए मुद्दे या नए राजनीतिक प्रयोग के साथ वापसी कर पाएंगी या फिर उनकी भूमिका सीमित प्रभाव वाली रह जाएगी?




